छन्द: रोकापि/हिमाल
गगन मा छायौ तारा हौ
नयन मा आयौ रारा हौ
सपनि मा सूटुक्कै कुन्नी
कसम जो खायौ प्यारा हौ
सलल गंगा को छेवै मा
गमप जे गायौ धारा हौ
अब´त जे हो त्यो मेरी नै
पिरति लौ लायौ सारा हौ
गगन मा छायौ तारा हौ
नयन मा आयौ रारा हौ
सपनि मा सूटुक्कै कुन्नी
कसम जो खायौ प्यारा हौ
सलल गंगा को छेवै मा
गमप जे गायौ धारा हौ
अब´त जे हो त्यो मेरी नै
पिरति लौ लायौ सारा हौ
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