छन्द:- चाजिरिप (हिमाल) (६ अक्षरमा विश्राम)
कोशिस गजल
हाम्रा लहर जो, ति कता गए
राम्रा नजर जो, ति कता गए
उड्थ्यो गगनमा मन त्यो सधैं
खूला सगर जो, ति कता गए
ढाक्यो पवन ले लहना सरि
मीठा खबर जो, ति कता गए
रोज्यौ पलकमा, सपना कती
भुल्यौ रहर जो, ति कता गए
मेरो अमन त्यो,कसरी कहाँ
लाली अधर जो, ति कता गए
कोशिस गजल
हाम्रा लहर जो, ति कता गए
राम्रा नजर जो, ति कता गए
उड्थ्यो गगनमा मन त्यो सधैं
खूला सगर जो, ति कता गए
ढाक्यो पवन ले लहना सरि
मीठा खबर जो, ति कता गए
रोज्यौ पलकमा, सपना कती
भुल्यौ रहर जो, ति कता गए
मेरो अमन त्यो,कसरी कहाँ
लाली अधर जो, ति कता गए
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